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बटखोरी या बड़ोखरी का दुर्ग

बटखोरी या बड़ोखरी का दुर्ग  इतिहास में कुछ युद्ध स्थल विशेष महत्व रखते हैं। ‘पानीपत’ व ‘तराईन’ की युद्ध भूमि दिल्ली की सत्ता के लिए एक द्वार के  समान  थे। इन दोनों युद्ध स्थलों को दिल्ली पर शासन करने योग्य शासकों का चुनाव स्थल कह सकते हैं। प्राचीन  काल से भारतीय राजाओं ने शत्रु से बचाव हेतु दुर्भेद्य दुर्गों का निर्माण समय-समय पर किया था । मध्य काल में राजस्थान का चित्तौड़ दुर्ग राजपूत स्वाभिमान का प्रतीक था तो ‘‘खानदेश में असीरगढ़ का दुर्ग ‘दक्कन’ का सबसे शक्तिशाली दुर्ग माना जाता था।’’ बुन्देलखण्ड का कालिंजर दुर्ग सबसे दुर्भेद्य दुर्ग था, जहाँ भारत में अफगानी राज्य के सूर्य (शेरशाह) को बारूद ने अस्त कर दिया था। ऐतिहासिक युद्ध स्थलों और दुर्भेद्य दुर्गों ने समय-समय पर भारतीय इतिहास को परिवर्तित कर दिया। उत्तराखण्ड के मध्य हिमालयी क्षेत्रों में भी दुर्गों का विशेष महत्व था। दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण यहाँ अधिकांश दुर्ग प्राकृतिक थे। मध्य हिमालय के प्राकृतिक दुर्गों को ‘कोट’ कहा गया। अर्थात एक ऊँची पहाड़ी जो चारों ओर से सुरक्षित ...