गंगोली में सामन्ती शासन
गंगोली में सामन्ती शासन गंगोली में सामन्ती शासन व्यवस्था सोलहवीं शताब्दी में चंद कालीन कुमाऊँ राज्य की प्रमुख विशेषता थी। इस सामन्ती शासन काल को रजवार शासन काल भी कह सकते हैं। गंगोली में सामन्ती शासन, चंद राजा रुद्रचंद द्वारा सीराकोट को विजित करने के उपरांत शुरू हुआ था। सीराकोट पूर्वी रामगंगा और काली अंतस्थ क्षेत्र का सबसे दुर्भेद्य दुर्ग था, जिस पर डोटी (नेपाल) के मल्ल शासक हरिमल्ल का अधिकार था। डोटी के मल्ल शासक भी प्राचीन कत्यूरी शाखा से ही थे। सीराकोट विजय के साथ ही सीरा राज्य सहित सम्पूर्ण कुमाऊँ पर रुद्रचंद का अधिकार हो गया था। नव विजित सीरा राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था के संबंध में पंडित बद्रीदत्त पाण्डे लिखते हैं- ‘‘इसके बाद राजा रुद्रचंद अल्मोड़ा को लौट आये और पुरुष पंत को हुक्म दिया कि विजित प्रदेश का इन्तजाम पूरा व पक्का करके अल्मोड़ा आयें।’’ पुरुष पंत या पुर्खूपंत गंगोली के ब्राह्मण थे, जो अंतिम मणकोटी शासक नारायणचंद के दीवान थे। गंगोली के इस योग्य ब्राह्मण की रणनीति और कूटनीति द्वारा ही रुद्रचंद सीराकोट जैसे दुर्भेद्य दुर्ग को विजित करने में सफल हुए थे। सीराकोट के पतनोपरा