चार बूढ़ा - ‘एक मध्यकालीन चंद राज्य पद’
‘चार बूढ़ा’ - ‘एक मध्यकालीन चंद राज्य पद’ . कुमाऊँ में चंद राज्य का आरंभिक सत्ता केन्द्र चंपावत था। चंपावत नगर के निकट राजबूंगा चंद राज्य की आरंभिक राजधानी थी। चंद कौन थे ? इतिहासकारों के एक मतानुसार सोमचंद आठवीं सदी के आरंभ तथा दूसरे मतानुसार थोहरचंद तेरहवीं सदी में कन्नौज राज्य से चंपावत आये थे। इन दो भिन्न मतों के आधार पर सोमचंद के वंश को पूर्ववर्ती तथा थोहरचंद के वंश को परवर्ती चंद कह सकते हैं। पूर्ववर्ती चंद वंश के शासक कत्यूरियों के अधीनस्थ थे, जिनका शासन काल आठवीं से तेरहवीं शताब्दी तक मान्य है। इस कालखण्ड में कत्यूरी वंश अपने उत्कर्ष पर था। जबकि परवर्ती चंद वंश का शासन काल चौदहवीं से अठारहवीं सदी के अंतिम दशक तक रहा। परवर्ती चंद थोहरचंद के वंशज गरुड़ ज्ञानचंद के ताम्रपत्रों से स्पष्ट होता है कि वे एक स्वतंत्र शासक थे। गरुड़ ज्ञानचंद ने स्वतंत्र शासक की उपाधि ‘महाराजाधिराज’ धारण की थी, जिसकी पुष्टि उसके द्वारा निर्गत ताम्रपत्र करते हैं। इस राजा का राज्य क्षेत्र चंपावत से सोर राज्य (पिथौरागढ़) तक विस्तृत था। ताम्रपत्रों से स्पष्ट होता है कि सोर के बम शासक ने गरुड़ ज्ञानचंद