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सोमचंद की वंशावली

 सोमचंद की वंशावली सोमचंद एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व ही नहीं थे, बल्कि कुमाऊँ राज्य के नींव के पहले पत्थर थे। कहा जाता है कि सोमचंद उत्तर प्रदेश के झूसी से चंपावत आये थे। झूसी से कुमाऊँ आने की तिथि तो ज्ञात नहीं, पर सिंहासनारूढ़ होने की तिथि को पंडित रुद्रदत्त पंत ने संवत् 757 विक्रमीय या 622 शाके या सन् 700 निर्धारित किया। इस मत का समर्थन पंडित बद्रीदत्त पाण्डे ने अपनी पुस्तक ‘कुमाऊँ का इतिहास’ में भी किया। जबकि ‘हिमालयन गजेटियर’ के लेखक एडविन थॉमस एटकिंसन (1840-1890) ने सोमचंद के सिंहासनारूढ़ वर्ष को सन् 953 ई. मान्य किया।            चंपावत के प्रथम चंद राजा सोमचंद के सिंहासनारूढ़ होने की उक्त दोनों तिथियों में 253 वर्ष का बहुत बड़ा अंतर दिलखाई देता है। रुद्रदत्त पंत और एटकिंसन ने ही कुमाउनी इतिहास को उन्नीसवीं शताब्दी में संकलित करने का आरंभिक प्रयास किया था। एटकिंसन लिखते हैं- ‘‘कुमाऊँ का कोई लिखित इतिहास उपलब्ध नहीं है। और इस संबंध में जो भी जानकारी हमारे पास है वह परम्पराओं पर आधारित है। परम्पराओं पर आधारित इन जानकारियों में से बहुत सी हमें स्वर्गीय रुद्रदत्त पंत के लम्बे श्रमसाध्य जीव

सोमचंद

  सोमचंद उत्तराखण्ड का मध्यकालीन इतिहास पंवार और चंद वंश का पारस्परिक युद्धों का कालखण्ड रहा था। मध्यकालीन उत्तराखण्ड में पंवार तथा चंद वंश को क्रमशः गढ़वाल और कुमाऊँ राज्य स्थापित करने का श्रेय जाता है। चंद राजा रुद्रचंददेव सोहलहवीं शताब्दी में कुमाऊँ राज्य को स्थापित करने में सफल हुए थे। लेकिन रुद्रचंददेव से सैकड़ों वर्ष पहले चंद केवल चंपावत क्षेत्र पर शासन करते थे। कहा जाता है कि वे आरंभ में कत्यूरियों के सामन्त थे और बाद में डोटी के मल्ल राजाओं के करद हुए। चंद कौन  थे ? या चंद वंश के संस्थापक कौन थे ? विद्वानों का एक मत सोमचंद को चंपावत में चंद राज्य स्थापित करने का श्रेय देता है, तो दूसरा मत थोहरचंद को। चंपावत में चंद वंश के संस्थापक सोमचंद और थोहरचंद के शासन काल में लगभग 561 वर्षों का अंतर था। सोमचंद के पक्ष में पं. बद्रीदत्त पाण्डे लिखते हैं- ‘‘श्री अटकिंसन ने सोमचंद के आने का संवत् 965 लिखा है, पर पं0 रुद्रदत्त पंतजी ने संवत्, सन् या शाके सब दिये हैं। उन्होंने काफी छानबीन के साथ अपने नोट लिखे हैं और उनके नोट ठीक हैं। हमने भी जो जाँच की है और काशीपुर के पुश्तनामे से मिलान किया