कन्नौज का त्रिकोणीय संघर्ष और उत्तराखण्ड का कार्तिकेपुर राज्य :-
कन्नौज का त्रिकोणीय संघर्ष और उत्तराखण्ड का कार्तिकेपुर राज्य :- कार्तिकेयपुर, उत्तराखण्ड का एक प्राचीन राज्य नगर था, जिसकी पहचान विद्वान बागेश्वर जनपद के बैद्यनाथ से करते हैं। इस राज्य नगर का उल्लेख दशवीं शताब्दी के कवि राजशेखर ने ‘काव्यमीमांसा’ नामक काव्यग्रंथ में चन्द्रगुप्त द्वितीय और ध्रुवस्वामिनी प्रकरण पर किया। यह कवि कन्नौज के राजा महेन्द्रपाल (885-910 ई.) का राजगुरु था। इस कवि के अतिरिक्त कार्तिकेयपुर का उल्लेख इस राज्य नगर के राजाओं द्वारा निर्गत ताम्रपत्रों और बागेश्वर शिलालेख से भी प्राप्त होता है। कार्तिकेयपुर नरेश ललितशूरदेव और पद्मटदेव के ताम्रपत्रों का आरंभिक वाक्यांश ‘स्वस्ति श्रीमान कार्तिकेयपुर’ से ही आरंभ किया गया है। इसलिए इन ताम्रपत्रों को कार्तिकेयपुर ताम्रपत्र भी कहते हैं। इन ताम्रपत्रों में ललितशूरदेव की वंशावली ‘निम्बर’ और पद्मटदेव की ‘सलोणादित्य’ से उत्कीर्ण की गयी है। लेकिन पद्मटदेव के पुत्र सुभिक्षराजदेव ने नवीन राज्य नगर सुभिक्षुपुर की स्थापना की थी, जिसका उल्लेख उसने ताम्रपत्र में कार्तिकेयपुर के स्थान पर किया। यही कारण है कि ललितशूरदेव के राज्य काल को