जाह्नवी देवी नौला अभिलेख

 जाह्नवी देवी नौला अभिलेख- 


 जाह्नवी देवी नौला लेख देवनागरी लिपि तथा संस्कृत भाषा में लिखा गया है। सम्पूर्ण लेख इस प्रकार से है-


             1- :।।ऊँ स्वि स्त गण  पति प्र सादा त्ः   अभि प्रताप्वन्सी धर्थं पूजीतोः  अयस्य स्वरैरपीः



2- सर्व विघ्न क्षीते त्र स्व : गणा धिप ते न मः।।  संवत्  सर् 1321 मासानी  4 वार 



3-.सि ला नीश सं आरम्भुः।। श्री साके  1199/1189 मा 3 वार 2 नी प ती  ष्षे 


  4- 1200सा वी गड.ण संउम षयं भ यं  श्री साके  11 97 मा 1व2 मती


 5-  1200शत  गंध्रि   विहा र  पणी  उट माता वी                                का


 6-  टता ऊँ ल सानेः।। श्रि  राजनराजा      ती।।      अ  ता       ली क उ उद थाना


7-  व तारा   नप्पंक :।। श्री राम  चंद्र  देवः  चिर जयतु :।। उरुडा     कु कार्म जं


8- छ क्षय ग डीतंः ।। राजन पुत्र वंसे  के मावष जन स  व्रातो   मन की तेनाः प्रतीपालक       


9-  सु  भ्रं  भ  ऊ  तु  : ।।


 भावार्थ-

1- एक विशेष चिह्न से शिलालेख आरंभ। ऊँ गणपति की कृपा से कल्याण हो, ...........

2- समस्त विध्नों को दूर करने वाले गणेश जी को नमस्कार है। विक्रम संवत् 1321 या (1321-57) = 1264 ई. के चौथे महीने अर्थात आषाढ़।

3- शिला का आरम्भ श्री साके 1189 या (1189$78) = 1267 ई. के तीसरे माह ज्येष्ठ मास के तीसरे वार (बुधवार) ।

4- 1200 ......... श्री साके 1197 या (1197+78) = 1267 ई.।

5- 1200 शत गंध विहार।

6- .....श्री राजनराजा..........

7- .....श्री रामचद्रदेव चिरकाल तक विजयी रहें............।

8- .....  राजा के वंशज .........  प्रतिपालन।

9-  सबका कल्याण हो।


  जाह्नवी शिलालेख के स्पष्ट और अस्पष्ट अक्षरों का दण्ड-आरेख

अक्षर 

                           पंक्तियां     

  

 जाह्नवी शिलालेख के अक्षरों का विवरण-

पंक्ति 

अक्षर 

अस्पष्ट अक्षर

कुल अक्षर 

1

33

00

33

2

30

06

36

3

23

07

30

4

26

11

37

5

20

15

35

6

22

07

29

7

25

05

30

8

32

00

32

9

05

00

05

योग 

216

51

267


जाह्नवी शिलालेख के अक्षरों का पाई चार्ट -



 जंगम बाबा का प्रस्तर लेख- 

जंगम बाबा लक्ष्मण गंगोलीहाट क्षेत्र के प्रमुख साधु थे। बीसवीं शताब्दी  में इनका प्रभाव गंगोलीहाट क्षेत्र पर रहा था । विशेषतः हाट कालिका की महापूजा और नौ देवियों की स्थापना करवाने में इनका महत्वपूर्ण योगदान था। उनकी मृत्यु बीसवीं शती में सन् 1966 ई. के आस पास हुई। इनको जाह्नवी देवी मंदिर परिसर में समाधि दी गयी। समाधि स्थल के ऊपर एक मंदिर निर्मित है, जिसके वाह्य दीवार पर एक लेख युक्त प्रस्तर लगाया गया है। इस पत्थर पर संवत् 1903 लिखा गया है। अर्थात सन् 1846 ई.। इस तिथि को जन्मतिथि माने तो जंगल बाबा लगभग 120 वर्ष जीवत रहे। 

यह प्रस्तर लेख देवनागरी लिपि और हिन्दी भाषा में लिखा गया है। यह प्रस्तर लेख सात पंक्तियों का है। प्रथम पंक्ति में तिथि लिखी गई है। दूसरी पंक्ति में जंगम बाबा का नाम तथा तीसरी पंक्ति में काली मंगला लिखा गया है। इस प्रस्तर लेख के पांचवीं पंक्ति के अंत में ’जान्हवी’ शब्द लिखा गया है। अर्थात यह एक प्रामाणिक प्रस्तर लेख है, जिसमें जाह्नवी नाम उत्कीर्ण है। प्रस्तर लेख की अंतिम दो पंक्तियां को स्पष्ट रूप से नहीं पढ़ सकते हैं। इस प्रस्तर लेख में जाह्नवी के स्थान पर जान्हवी लिखा गया है। सम्पूर्ण लेख निम्नलिखित प्रकार से है- 

’श्री स्वामी लक्ष्मण जंगम जी यह समाधि बनी श्री काली मंगला त्रिपुरा सुन्दरी चामुण्डा जदे केरवर सा ली खते जान्हवी।’

संभवतः लक्ष्मण जंगम साधु ने अपने जीवन काल में इस प्रस्तर लेख को उत्कीर्ण करवा दिया था। अतः उनकी मृत्यु की तिथि इस प्रस्तर लेख में उत्कीर्ण नहीं है।

                                             जंगम बाबा का शिलालेख-








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